छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मोबाइल चोरी और ऑनलाइन ठगी के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अंतरराज्यीय गिरोह के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। खास बात यह रही कि इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए पुलिस ने सावन माह के दौरान कांवड़ियों के भेष में रहकर योजना बनाई और झारखंड व कोलकाता की गलियों में दबिश दी।
इस गिरोह के सदस्यों ने पिछले तीन महीनों में रायपुर समेत अन्य शहरों के सब्जी बाजारों से 80 से अधिक मोबाइल फोन चोरी किए। पुलिस को लगातार गुढ़ियारी और तेलीबांधा थाना क्षेत्र से मोबाइल चोरी की शिकायतें मिल रही थीं। इस गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद शातिर थी—ये पहले मोबाइल चोरी करते और फिर टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद से पासवर्ड क्रैक कर, उसमें मौजूद यूपीआई एप्स के जरिए बैंक खातों से रकम उड़ा लेते थे।
गुढ़ियारी केस से हुई शुरुआत
पहली बड़ी चोरी की रिपोर्ट गुढ़ियारी इलाके के पहाड़ी चौक के सब्जी बाजार से सामने आई थी, जहां एक युवक का मोबाइल उसकी शर्ट की जेब से गायब हुआ और कुछ ही देर में फोन-पे के जरिए 99 हजार रुपये उड़ा लिए गए। इस घटना के बाद पुलिस हरकत में आई और मामले की तह में जाकर गिरोह तक पहुंचने में सफल रही।
तेलीबांधा मामले से मिला ठोस सुराग
तेलीबांधा थाना क्षेत्र में गोविंदराम वाधवानी नामक व्यक्ति का मोबाइल चोरी होने के बाद पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण के आधार पर ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाली। यह पता चला कि रकम पश्चिम बंगाल ट्रांसफर की गई है। इसके बाद पुलिस की एक टीम झारखंड और कोलकाता रवाना हुई।
गिरफ्तारी की रणनीति और आरोपियों की पहचान
चूंकि सावन माह चल रहा था और कांवड़ यात्रा के कारण हरिद्वार से लेकर झारखंड-बंगाल तक धार्मिक भीड़ थी, इसलिए पुलिस ने बिना किसी संदेह के आरोपियों तक पहुंचने के लिए कांवड़ियों का रूप अपनाया। इस रणनीति से पुलिस को बड़ी सफलता मिली।
पुलिस ने झारखंड के साहेबगंज से देवा उर्फ देव कुमार, कन्हैया कुमार मंडल और विष्णु कुमार मंडल को, तथा कोलकाता से ओम प्रकाश ठाकुर को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह का सरगना देवा, अपने साथियों को मोबाइल चोरी करने की जिम्मेदारी देता था और इसके बदले उन्हें हर माह 25,000 रुपए देता था।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और नेटवर्क का विस्तार
गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 3 मोबाइल फोन, 2 फर्जी सिम कार्ड और करीब 40 से 50 यूपीआई क्यूआर कोड मिले हैं। एसएसपी डॉ. लाल उमेद सिंह के अनुसार, आरोपियों के मोबाइल फोन में करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन का डेटा मिला है। इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है और पुलिस दूसरे राज्यों की एजेंसियों के संपर्क में है।
आरोपी पहले चोरी किए गए मोबाइल को अनलॉक करते, फिर उसमें मौजूद बैंक एप्स से पीड़ितों के खातों से रकम निकालकर उसे अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करते। अंततः कोलकाता निवासी ओम प्रकाश ठाकुर एटीएम से पैसा निकाल लेता था।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
फिलहाल, पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि उनके संपर्क में और कौन-कौन लोग हैं। यह गिरोह देश के कई हिस्सों में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुका है। साथ ही, करोड़ों की ठगी के सटीक आंकड़े को लेकर जांच जारी है।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर अपराध किस तरह से अब छोटी-छोटी वारदातों से जुड़कर बड़े अपराध का रूप ले चुके हैं। पुलिस की सजगता और रणनीतिक तरीके से की गई कार्रवाई इस गिरोह के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।