बिलासपुर: सरकारी स्कूल से सरपंच पति ने ले गया लाखों का सामान, प्राचार्य सस्पेंड बेलतरा हाई स्कूल में विभागीय अनदेखी उजागर, ग्रामीणों की शिकायत पर खुला मामला


 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बेलतरा में सरकारी स्कूल से लाखों रुपए के सामान की कथित रूप से चोरी का गंभीर मामला सामने आया है। यह मामला शासकीय हाई स्कूल बेलतरा से जुड़ा है, जहां पूर्व सरपंच की पत्नी के पति रामरतन कौशिक पर स्कूल से खिड़की, दरवाजे, टाइल्स, चैनल गेट और रेलिंग जैसे कीमती सामान उखाड़कर अपने घर ले जाने का आरोप है।

मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि इस काम के लिए स्कूल के प्रभारी प्राचार्य कावेरी यादव ने मौखिक सहमति दे दी थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी गई। जब यह मामला ग्रामीणों की नजर में आया तो उन्होंने शिक्षा विभाग से इसकी शिकायत की। शिकायत पर जांच हुई और लापरवाही पाए जाने के बाद प्रभारी प्राचार्य को निलंबित कर दिया गया है।

क्या है पूरा मामला?

राज्य सरकार द्वारा 65 लाख रुपए की लागत से कुछ साल पहले बेलतरा में शासकीय हाई स्कूल की इमारत बनाई गई थी। कुछ समय तक यहां कक्षाएं चलीं, लेकिन एक साल पहले मरम्मत के नाम पर भवन को खाली कर पास की दूसरी इमारत में कक्षाएं शिफ्ट कर दी गईं। इसके बाद मूल इमारत में रखे गए फर्नीचर और निर्माण सामग्री धीरे-धीरे गायब होने लगे।

स्थानीय लोगों को जब स्कूल की इमारत खंडहर जैसी नजर आई, तो उन्होंने इसकी तहकीकात शुरू की। ग्रामीणों के अनुसार, इसी दौरान पूर्व सरपंच ईश्वरी बाई कौशिक के पति रामरतन कौशिक ने स्कूल भवन से कुल 4 लोहे के दरवाजे, 24 खिड़कियां, 16 रेलिंग, 8 रोशनदान, 2 चैनल गेट और टाइल्स उखाड़ लिए और उसे अपने घर ले गया।

प्राचार्य की भूमिका पर सवाल

जांच में सामने आया है कि प्रभारी प्राचार्य कावेरी यादव ने रामरतन को स्कूल भवन से सामान निकालने की मौखिक अनुमति दी थी। न तो उन्होंने इस संबंध में विभाग से अनुमति ली और न ही उच्चाधिकारियों को कोई सूचना दी। सबसे बड़ी बात यह कि इस कथित चोरी की घटना की कोई रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराई गई।

जब ग्रामीणों ने इस गंभीर मामले की जानकारी अधिकारियों को दी, तब जाकर विभाग ने जांच शुरू की और शिक्षा विभाग के संचालक ऋतुराज रघुवंशी ने कार्रवाई करते हुए प्राचार्य को निलंबित कर दिया।

सरपंच पति की सफाई

रामरतन कौशिक ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि स्कूल भवन जर्जर हो चुका था, और उसमें जो भी सामान था, उसे बाहर निकालकर स्कूल को ही सौंपा गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि जांच में उन्होंने अधिकारियों के सामने बयान दिया है और उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है।

हालांकि, यह दावा तब संदिग्ध नजर आता है जब यह देखा जाए कि स्कूल भवन से सारा सामान गायब है और अब वहां किसी भी तरह की कक्षा नहीं चल रही।

विभाग की कार्रवाई

लोक शिक्षण संचालनालय ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसे सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का उल्लंघन करार दिया है। नतीजतन प्रभारी प्राचार्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी, बिल्हा का कार्यालय रहेगा और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।

इस पूरे प्रकरण में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि रामरतन कौशिक के खिलाफ अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है। इससे अफसरों की निष्पक्षता और जांच की गंभीरता पर भी सवाल उठने लगे हैं।

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