छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कुदमुरा रेंज के बैगामार जंगल क्षेत्र में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई है, जहां एक हाथी की करंट लगे तार से मौत हो गई। मामले में तीन किसानों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने अपनी फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेत में बिजली का करंट प्रवाहित करने वाला तार बिछाया था।
घटना कैसे हुई?
ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह खेत में मृत हाथी को देखा, जिसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। जांच में पता चला कि हाथी की मौत रात में ही करंट लगने से हो गई थी। पीड़ित हाथी 22 हाथियों के झुंड से बिछड़कर अकेला खेत की ओर आ गया था, जहां उसकी मौत हो गई।
किसानों ने कबूला जुर्म
गिरफ्तार किए गए किसानों के नाम कृष्ण राम राठिया, बाबू राम राठिया और टीका राम राठिया हैं। इन्होंने अपने खेतों के आसपास बिजली का करंट प्रवाहित करने वाला तार लगाया था, ताकि जंगली जानवर फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। पूछताछ में किसानों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
वन विभाग की कार्रवाई
वन विभाग के डीएफओ निशांत कुमार झा ने बताया कि हाथी की मौत करंट लगे तार से हुई है। पोस्टमॉर्टम के बाद हाथी की सही उम्र और मौत का सटीक कारण पता चल पाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में और लोग शामिल हो सकते हैं, जिसकी जांच की जा रही है।
पहले भी हुई है ऐसी घटना
यह पहली बार नहीं है जब कोरबा जिले में करंट लगे तार से हाथी की मौत हुई हो। इससे पहले भी कुदमुरा रेंज में 11 केवी के बिजली तार से एक दंतैल (टस्क वाले) हाथी की मौत हो चुकी है। उस मामले में लाइनमैन के खिलाफ वन अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था और उसे गिरफ्तार भी किया गया था।
हाथियों के संरक्षण की जरूरत
छत्तीसगढ़ में हाथियों के साथ-साथ इंसानों का संघर्ष बढ़ता जा रहा है। जंगलों के सिकुड़ने और खेतों के विस्तार के कारण हाथी अक्सर मानव बस्तियों की ओर आ जाते हैं, जिससे ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं। वन विभाग को चाहिए कि वह ऐसे इलाकों में सुरक्षा उपायों को मजबूत करे और किसानों को जागरूक करे ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
कानूनी कार्रवाई होगी सख्त
इस मामले में वन विभाग ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। किसानों पर गंभीर आरोप लग सकते हैं, क्योंकि हाथी एक संरक्षित प्रजाति है और उसकी हत्या पर सजा का प्रावधान है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना से स्थानीय ग्रामीण भी दुखी हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वन विभाग को पहले से ही इस तरह के खतरों के प्रति सचेत करना चाहिए था। वहीं, कुछ लोग किसानों के पक्ष में भी हैं, क्योंकि जंगली जानवरों से फसलों को बचाना उनकी मजबूरी है।