जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल से न्याय की राह आसान, छत्तीसगढ़ को मिली नई सौगात, नवा रायपुर में बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स फैसिलिटी सेंटर


 

देश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के आठ साल बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल (GSTAT) गठित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस फैसले से छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के हजारों करदाताओं को न्याय की दिशा में राहत मिलेगी। अब तक जिन मामलों को लेकर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता था, वे अब राज्य स्तरीय ट्रिब्यूनल में ही निपटाए जा सकेंगे।

छत्तीसगढ़ में इस ट्रिब्यूनल की एक बेंच नवा रायपुर में स्थापित की जाएगी। इसमें एक चेयरपर्सन न्यायिक सेवा से तथा दो तकनीकी सदस्य शामिल होंगे। जानकारी के अनुसार, बिजोय बिहारी महापात्र को बेंच का प्रमुख बनाए जाने की संभावना है। सीजीएसटी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में हर साल करीब 10 हजार नोटिस करदाताओं को जारी होते हैं। इनमें से 60-70 प्रतिशत मामले पहले चरण में ही सुलझ जाते थे, लेकिन शेष 30 प्रतिशत मामलों को लेकर लोगों को अदालतों के चक्कर काटने पड़ते थे। इन आठ वर्षों में लगभग 24 से 25 हजार केस अब भी पेंडिंग हैं।

पूर्व में जीएसटी लागू होने से पहले इन विवादों की सुनवाई सीईएसटीएटी (CESTAT) यानी कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में होती थी, जिसकी बेंच केवल चुनिंदा महानगरों में थी। जीएसटी लागू होने के बाद CESTAT को समाप्त कर दिया गया, लेकिन कोई वैकल्पिक ट्रिब्यूनल नहीं बनाया गया था। इसका सीधा असर करदाताओं पर पड़ा, जिन्हें न्याय के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था।

अब इस नई व्यवस्था के तहत न केवल न्याय सुलभ होगा बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत होगी। दिल्ली स्थित डीओपी ने प्रिंसिपल बेंच में आईएएस अधिकारी ए. वेनुप्रसाद (1991 बैच) को चार वर्षों के लिए तकनीकी सदस्य नियुक्त किया है। इनके साथ रिटायर्ड आईआरएस अधिकारी अनिल गुप्ता भी सदस्य बनाए गए हैं।

नवा रायपुर में बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉमन फैसिलिटी सेंटर

दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के लिए एक और बड़ी खबर यह है कि केंद्र सरकार ने नवा रायपुर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) की स्थापना के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह केंद्र इलेक्ट्रॉनिक्स टेस्टिंग और प्रोटोटाइपिंग के क्षेत्र में कार्य करेगा। इसका सीधा लाभ स्थानीय स्टार्टअप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं और युवा उद्यमियों को मिलेगा।

यह केंद्र नवा रायपुर में 3.23 एकड़ जमीन पर स्थापित किया जाएगा। परियोजना की कुल लागत 108.42 करोड़ रुपये है, जिसमें 75 करोड़ रुपये केंद्र सरकार और 33.43 करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करेगी। यह प्रोजेक्ट ईएमसी 2.0 योजना के अंतर्गत लागू किया जा रहा है।

इस फैसिलिटी सेंटर में निम्न सुविधाएं उपलब्ध होंगी:

  • प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) प्रोटोटाइपिंग

  • 3डी प्रिंटिंग

  • ईएमसी परीक्षण

  • वुड वर्कशॉप

  • माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स

  • एलईडी निर्माण

  • सोलर चार्ज कंट्रोलर डिज़ाइन

  • इलेक्ट्रिक वाहन समाधान

  • ऑटोमेशन और एससीएडीए पैनल निर्माण

ऐसे करेगा काम CFC:

  • एलईडी निर्माण इकाइयां अपने उत्पादों की गुणवत्ता जांचने के लिए टेस्टिंग लैब का उपयोग कर सकेंगी।

  • सोलर स्टार्टअप्स अपने डिजाइन को बड़े पैमाने पर निर्माण से पहले प्रोटोटाइपिंग सुविधा से जांच सकेंगे।

  • 3डी प्रिंटिंग यूनिट्स विशेष जिग्स या कस्टम एन्क्लोजर तैयार करने में सेंटर की सहायता लेंगी।

  • PCB प्रोटोटाइपिंग के जरिए उत्पादन की रफ्तार बढ़ेगी और लागत घटेगी।

यह सेंटर न केवल तकनीकी सहायता प्रदान करेगा बल्कि छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। अब तक बेंगलुरु, पुणे या नोएडा जैसे शहरों पर निर्भरता थी, लेकिन इस फैसले से राज्य के उद्योग जगत को नई ऊर्जा मिलेगी। साथ ही, स्थानीय स्टार्टअप्स को तकनीक, संसाधन और प्रोटोटाइपिंग की सुविधा एक ही जगह मिलेगी।

इन दोनों फैसलों से छत्तीसगढ़ का आर्थिक, औद्योगिक और न्यायिक ढांचा मजबूत होगा और यह राज्य अब देश के टेक्नोलॉजी व गवर्नेंस के नक्शे पर नई पहचान बनाएगा।

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