रायपुर। खाने-पीने की चीजों में मिलावट को लेकर अब तक जो सख्त कानून थे, उन्हें हाल ही में केंद्र सरकार के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने नरम कर दिया है। बदलाव इतने गंभीर हैं कि अब मिलावट करना अपराध नहीं रह गया है, बल्कि इसे केवल आर्थिक दंड से निपटाया जा सकेगा। यानी अब चाहे पनीर दूध से बना हो या वेजिटेबल ऑयल से, चाहे आइसक्रीम हो या फ्रोजन डेजर्ट, सब कुछ बिकेगा—कानूनी दायरे में।
तीन साल में हुआ कानून में धीरे-धीरे बदलाव
बीते तीन वर्षों में खाने-पीने की चीजों से जुड़े कानूनों में छोटे-छोटे लेकिन असरदार बदलाव किए गए। खासतौर पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI) की कई धाराओं में संशोधन कर दिया गया। जहां पहले मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने पर जेल भेजा जाता था, अब उन्हें सिर्फ जुर्माना भरना पड़ेगा। धारा 63, जो बिना लाइसेंस खाद्य सामग्री बेचने पर छह माह की जेल का प्रावधान करती थी, उसमें अब केवल जुर्माने का विकल्प है।
अब मिलावट को मिल गई कानूनी मान्यता
जो चीजें पहले साफ़ तौर पर मिलावटी मानी जाती थीं, उन्हें अब सरकार ने विकल्प का नाम देकर बाजार में वैध बना दिया है। जैसे:
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पनीर: पहले केवल गाय या भैंस के दूध से बना पनीर ही शुद्ध माना जाता था। अब वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रोटीन, मिल्क पाउडर और एडिटिव्स से बना पनीर भी मान्य कर दिया गया है।
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आइसक्रीम: पुराने नियमों के मुताबिक केवल दूध और चीनी से बनी आइसक्रीम को ही बेचना वैध था। अब वनस्पति तेल से बनी फ्रोजन डेजर्ट को भी बाजार में बेचने की अनुमति दे दी गई है।
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ब्लेंडेड ऑयल: पहले केवल एक स्रोत से निकला प्लेन ऑयल ही मान्य था, अब दो या उससे अधिक तेलों के मिश्रण को भी कुछ शर्तों पर मान्यता दे दी गई है।
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चीज एलॉगस: दूध से बनी चीज को छोड़कर पहले कोई अन्य चीज उत्पाद अमान्य था। अब क्रीम चीज एलॉगस जैसे विकल्पों को भी बाजार में उतारने की छूट मिल गई है।
जुर्माना बढ़ा, पर सजा खत्म
संशोधनों के बाद जुर्माने की राशि जरूर बढ़ाकर दो लाख से दस लाख रुपए तक कर दी गई है, लेकिन जेल की सजा पूरी तरह हटा दी गई है। यानी अब अगर कोई मिलावटी खाद्य सामग्री बेचता है और दोषी पाया जाता है, तो वह केवल जुर्माना भरकर छूट सकता है।
स्वास्थ्य पर सीधा खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक, ये नए प्रावधान सीधे आम जनता की सेहत पर असर डाल सकते हैं। वेजिटेबल ऑयल से बना पनीर या फ्रोजन डेजर्ट शरीर में ऑइल पहुंचाता है, जिससे लिवर और हृदय रोग बढ़ने का खतरा रहता है। इसके अलावा खुले में बनाए जाने वाले इन उत्पादों में स्वच्छता का अभाव होता है, जिससे संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है।
मिलावट रोकने के लिए अमला नहीं
राज्य में मिलावट की जांच और निगरानी के लिए ज़मीनी स्तर पर अमले की भारी कमी है। पूरे छत्तीसगढ़ में केवल 61 फूड इंस्पेक्टर हैं, जिनमें से 8 केवल रायपुर में तैनात हैं। बाकी जिलों में एक या दो निरीक्षक ही नियुक्त हैं। इतने सीमित संसाधनों में मिलावट पर नियंत्रण की उम्मीद करना मुश्किल है।
जनता को जानना जरूरी
इस बदलाव की जानकारी अभी आम लोगों को नहीं है। अधिकतर लोग पनीर, आइसक्रीम और चीज जैसे उत्पादों को वही समझकर खरीद रहे हैं जो वे वर्षों से जानते आए हैं। लेकिन अब वे जिस पनीर को खा रहे हैं, वह दूध से नहीं बल्कि तेल और पाउडर से बना है।